
दस साल पहले की गई रीत की आज 16 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया गया। हमारे वकील आनंद जी की सुनवाई के बाद जस्टिस दीपांकर और जस्टिस दीपक ने सरकारी वकील को लॉन्च किया कि इस मामले में इतनी देरी क्यों हुई? अब बिना देरी के 29 जुलाई 2025 को अंतिम सुनवाई होगी जिसमें दोनों स्टार्स को अपना अपना हाफनामे पेश किया गया है।
देश दुनिया और क़ानून का लोकतांत्रिक हमारे पक्ष में है इसलिए इस समय किसी साधु या उपासक द्वारा थोड़ी सी भी उथल-पुथल, ढीली या अपरिपक्व बातें की गईं तो नारे लगे बाज़ी छूट जाएगी। मैं स्वयं एक सप्ताह तक इस आंदोलन के चित्र का भाग बना मैंने सच्चाई को सबसे पहले देखा है। तेज़ गर्मी और तूफ़ान में भी हमारे कई वरिष्ठ साधु, विचारक, उपासक उपासिकाएँ अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसे दौर में कोई भी साधु या उपासक नेतृत्व की इच्छा या अनादर या अतिशयता आंदोलन के बारे में बात करता है, वहां फैले हुए लोगों को अनादर करेगा तो इस आंदोलन के लिए बहुत नुकसान होगा। आप सभी से अनुरोध है कि विश्व मियामी वापसी के लिए हमसे संपर्क करें, केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट से बातचीत करें। बहुत ही समझदारी से आगे बढ़ना है,अपना पक्ष परंपरा रखना है। बोधगया में कम पढ़े लिखे लोगों से बहस,वाद विवाद कर बहस से हमें नुक्सान ही होगा
बाबा साहब के चर्चों को याद करो. बाबा साहब ने क़ानूनी और प्रतिष्ठा स्तर पर संघर्ष किया। वैयक्तिक वाद्य विवाद से वे दूर रहें। आंदोलन के दौरान उन पर हमला भी हुआ. उस समय उनके साथ तो सैकडो वीर मिर्जा फौजी थे अगर वे चाहते थे तो सील का कचूमर निकाला जा सकता था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। क्योंकि वे बुद्धि व कलाम विरोधी पर युद्ध करते थे। और इसी आधार पर वे अपने आंदोलन में सफल हुए। बाद में लंबी पारी की फिल्में और पिछड़ी जाति के पूंजीवादी समाज को संविधान का समर्थन तोहफ़ा दिया गया। हमारा हक अधिकार नीचे.
महाबोधि मुक्ति आंदोलन बोधगया में आकाश लामा, वयोवृद्ध भिक्षु डॉ.चंद्रकीर्ति, भंते प्रज्ञाशील, भंते धम्मताप, भंते ज्ञानज्योति आदि कई भिक्षु और उपासक उपिकाएँ भिक्षुओं से डेट किये गये हैं। आए दिन सैकड़ों विचारक, राजनेता, संगठन, संस्थाएं अपना नैतिक और आर्थिक समर्थन दे रहे हैं। ऐसे में अपने घर में एसी स्की में बैठे रहे जो लोग तीन छोटे टुकड़ों पर सवाल कर आरोप लगा रहे हैं वे अगर स्ट्राइक साइट पर तूफान तूफ़ान और तपती लू में एक घंटा भी बैठे तो हक़ीक़त से रुक जाएंगे। उफ़्फ़जाई न करें तो कोई बात नहीं, उनकी भावनाओं को चोट तो न पहुँचें। यहां पिक्चर में कोई एग्रीमेंट नहीं है, न अनादर किया जा रहा है इसलिए जो लोग डेट करते हैं उनकी भावनाओं को प्रभावित मत करिए। और दूसरी ओर जो लोग अति उत्सुक हैं उन्हें चाहिए कि सामुद्रिक प्रतिभाओं को एक हो भाई।
सुप्रीम कोर्ट में बारह साल बाद आज 16 मई को सुनवाई हुई और 29 जुलाई को अंतिम फैसला आने वाला है। इसलिए तब तक हमारा प्रमाण पत्र सभी प्रमाण पत्र बनाने के लिए है। सामाजिक, संवैधानिक, क़ानूनी विचारधारा को स्थापित करते हुए विजय प्राप्त की जाती है। ऐसे कठिन दौर में कृपया सभी संयम बरतें और बोधगया मुक्त की दोस्ती के साथी बनें। ये सब बातें इतिहास में दर्ज होंगी और आने वाली पीढ़ियां जानेगी कि हमने इस दौर में क्या भूमिका निभाई। आने वाला समय बुद्ध का है।
हम होंगे कामयाब, एक दिन
चारों ओर एक दिन शांति रहेगी
सभी का मंगल हो…सभी जीव सुखी हो
डॉ.एम.एल.परिहार,पाली,जयपुर। 9414242059
